maru gagar
मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012
लकीरें
शनिवार, 3 सितंबर 2011
पर्दा गिरा है
हमारा पर्दा गिरा है
कल तक बे पर्दा थे
कुछ परदे बागी हो चले है
वों दूसरों के आगन में सेंध लगा आये
सबने हाथ पकड़ा फिर भी एक छिटक गया
न जाने कहा से कुछ धब्बे साथ ले आया
उसे मारा-पीटा वों टस से मस ना हुआ
गरम था खून उसका
कई रंगों में रंग चूका था
फिर से पकड़कर धोया तो
सतरंगी बन चला था
वों बरदारी का ना रहा अब
चितकबरा सा लगने लगा
लोग उससे कतराने लगे
वों चीखा किसी उसकी ना सूनी
सब के आगे परदे लगे थे
कल तक वों हमारा हिस्सा था
आज अजानक पड़ोसी हो चला
एक मूक सन्नाटा सा पसरा है
सोमवार, 4 जुलाई 2011
हनी और में
हनी और में
उसकी काच की चूडियाँ हनी से अक्सर चिपक जाती थीं
वो हमेशा मुझे अपना हनी दूर रखने को कहती
में भुलक्कड़,आलसी सब कुछ बदलता पर हनी की जगह नहीं
एक लगाव सा हो गया था मुझे,अब तो लगने लगा
हनी और में सदा के लिए...
मुधुमक्खी से आज भी डरता हु
काट जाती है तो काफी दर्द होता है
स्नेहा जब भी गुस्साती है तो,
कमरे के बाहर खीले सूरजमुखी के पास जाकर बैठ जाता हु
प्रकर्तिक मधु रस भी कभी – कभी अच्छा लगता है
कुछ देर बाद कमरे में सन्नाटा देख चोकता
रोज का यह खेल रहता बड़ा विचित्र
उसे लगता एक स्पेस हो गयी है हमारे बीच
हनी और में सदा के लिए...
अभी कल ही उसकी पीली सलवार पर हनी गीर गया
मारेगी शायद इसी डर से रात बाहर रहा
हलकी बारिश में चाय की चुस्की ले रहा हूँ
अचानक उठा हनी की बोतल लेने गया
कई सारे क्रेक हाथ लगे बोतल पर
सुबह-शाम दो बार घर की बेल बजाता हू
एक बार मेरे लिए दूसरी बार स्नेहा के लिए
मुधुमक्खी काटने पर दर्द नहीं होता
अब तो हमेशा के लिए
हनी और में सदा के लिए...
सोमवार, 2 मई 2011
Chini chai-Kavita
चाय पीते हुए
में अपने पिता के बारे में सोच रहा हूँ
आप ने कभी
चाय पीते हुए
पिता के बारे में सोचा हैं?
अच्छी बात नहीं
पिताओ के बारे में सोचना
अपनी कलई खुल जाती है
हम कुछ दुसरे हो सकते थे
पर सोच की कठिनाई यह है कि दिखा देता है
कि हम कुछ दूसरे हुए होते
अधिक उन जैसे हुए होते
कितनी दूर जाना होता है पिता से
पिता जैसा होने के लिए!
पिता भी
सवेरे चाय पीते थे
क्या वह भी
पिता के बारे में सोचते थे-
सनिकट या दूर?-------------(“अज्ञेय”)
गुरुवार, 30 दिसंबर 2010
Naye Dushak
mai ek dashak se hokar chalaa
dus saal mai sab samaithaa chalaa
muha pher kar idhar chalaa udhar chalaa
sab se chupate chupaate na jaane kis aur chalaa
is aur chalaa to kaii logo nai us aur chalaa diyaa
pecha dekhaa to meerai saath andhairaa chalaa
log wahee par kaiee saare kaanoon chale
madaari kaa hanter binaa awaaz chalaa
dhamaako ke shor se pasraraa dhuaa chalaa
bai waqt badelte mausam kei tavar chalaa
mai naa rukha ek payedan sab ke saath chalaa
tum bhi aoo mai tumharee liye dwaraa khol chalaa.